बचपन में जब हमारे खेतोँ से गेहूं की फ़सल की मैनुअल कटाई हो जाती थी और उसे खेतों से गट्ठर बना कर खलिहान में पहुंचा दिया जाता था तो एक वर्ग विशेष के भूखे, नंगे, वस्त्रहीन बच्चे, महिलाएं और पुरुष खेतोँ में जुटकर चूहों की बिलों से गेहूं या अन्य अनाज के उन दानों को निकाल लाया करते थे जिसे चूहे खेत की पकी फ़सल से कुतर कर अपने बिलों में छिपा लिया करते थे। यह वर्ग न केवल उनके फिक्स डिपाजिट अन्न निकाल लाते थे बल्कि अगर चूहे मिल गए तो उनको पकड़ कर, भून कर खा भी जाते