कलवाची--प्रेतनी रहस्य - भाग(६६)

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वें सब बंदीगृह से बाहर आएँ तो वत्सला ने पूछा.... "सब अच्छा रहा ना!", "हाँ! पहले मेरे कक्ष में चलो,तब वार्तालाप करते हैं,"अचलराज बोला... इसके पश्चात सभी अचलराज के कक्ष में पहुँचे और उन्हें कालवाची ने अपना अपना रुप दे दिया,तब कालवाची वत्सला से बोली.... "हाँ! सब ठीक रहा एवं हम पर किसी को कोई भी संदेह नहीं हुआ", "हाँ! मैंने महाराज और माता पिता के दर्शन भी कर लिए,मुझे आज विशेष प्रकार की संतुष्टि का अनुभव हो रहा है,इतने वर्षों पश्चात महाराज को देखा तो मैं तो भाव विह्वल हो उठी",रानी कुमुदिनी बोलीं.... "तो अब मैं आपको मैना में