ओ मेरी अलबेली

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भोर में अपनी घड़ी का अलार्म बजते ही शालू आदतन सबसे पहले रेडियो ट्यून कर दिया करती है जो भजन के माध्यम से अध्यात्म तरंगे तो बिखेरता ही है घर के शेष प्राणियों के लिए एलार्म का भी काम करता है।बड़ा बढ़िया तरीका उसने खोज निकाला है सभी को जगाने का !अब विरला ही व्यक्ति होगा जो बिस्तर ना छोड़े। लेकिन शालू की इस आदत ने पहले भी ढेर सारे गुल खिलाये हैं। ख़ास तौर से धर्मेश को तो उसकी यह आदत एकदम उसे चिढ़ाने जैसी लगती थी।लेकिन , उसकी चर्चा ...फिर कभी। आज उसी रेडियो से किसी महिला कलाकार