दिल हैं हमारा खिलौना नहीं... - 1

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स्वाति:- अरे रेणु....क्या बात हैं आज तो जंच रही हैं....। आए हाए.... किसी की नजऱ ना लगे... । रेणु:- मिल गई तुझे फुरसत मेरे लिए...! स्वाति:- गुस्सा क्यूँ होतीं हैं मेरी जान... तुने शादी इतनी हड़बड़ी में की कि हजारों काम छोड़ कर मुझे आना पड़ा..। अब वहाँ बॉस के फोन पर फोन आ रहें हैं और यहाँ तेरी शादी के हजारों काम...। जब से आई हूँ तेरे ही कामों में लगी हुई हूँ मैडम...। रेण मुस्कुराते हुए :- बेस्ट फ्रेंड बनना इतना आसान हैं क्या डियर...। स्वाति उसकों गले से लगाते हुए:- हां ये तो बिल्कुल सही कहा तुने..।लेकिन