हॉरर मैराथन - 3

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भाग 3 खुशी मैं तुम्हारी पड़ोसन हूं। दरवाजा खुला था इसलिए सीधे तुम्हारे पास चली आई। तुम भी मेरी तरह अकेली रहती हो, इसलिए सोचा तुम्हें कंपनी दे दूँ। वैसे भी ऐसे समय तुम्हें यूं उदास नहीं रहना चाहिए। बच्चे की सेहत पर असर पड़ता हैं। खुशी को उनका चेहरा जाना पहचाना सा लगा। पर याद नहीं आ रहा था कि उन्हें कहां देखा है। अब तो रोज माधव के जाते ही खुशी की पड़ोसन आ जाती और माधव के घर आने के थोड़ी देर पहले ही चली जाती। खुशी भी अब पहले की तरह दिखने लगी वह खुश रहती