वो बिल्ली - 12

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(भाग 12) अब तक आपने पढ़ा कि रघुनाथ स्टोर रूम का दरवाज़ा पूरी ताकत लगा देने के बाद तोड़ देंता है। अब आगें... कमरे के अंदर घुप्प अंधेरा था। चारों ओर सन्नाटा पसरा हुआ था। शोभना और रघुनाथ धीरे-धीरे आगें बढ़ते जा रहें थे। "किटी...किटी...किटी बेटा...." - शोभना अपनी बेटी को पुकार रहीं थीं। उसकी आवाज़ बरसों से बन्द पड़े कबाड़ से भरे कमरे में गूंज रही थीं। रघुनाथ पैर से जमीन को टटोलते हुए आगें बढ़ता जा रहा था। रघुनाथ के पैर से कुछ टकराता है। रघुनाथ ने झुककर उसे टटोला। "शायद ! यह टॉर्च है।" - यह विचार