(भाग 6) रात के क़रीब दो बजे रघुनाथ की नींद खुलती है। वह जब अपने बगल में शोभना को नदारद पाते हैं, तो झटके से उठकर बैठ जाते है। आँखों में रही-सही नींद भी अब पूरी तरह से गायब हो गई थीं। रघुनाथ मन ही मन - " इतनी रात को शोभना कहाँ गई ? हो सकता है वॉशरूम में हो। यह विचारकर रघुनाथ ने साइड टेबल से मोबाइल फोन उठाया और टाइम देखकर फिर से टेबल पर रख दिया। क़रीब -बीस-पच्चीस मिनट बाद यही प्रक्रिया रघुनाथ ने दोहराई और जब समय देखा तो मन में शंका हुई- " अब