भाग - ४ गाड़ी धड धड दिन भर चलती रही, बुधिया का तो यह पहला सफर था तो वह निश्चिंत होकर सफर का मजा ले रही थी. लेकीन चाची बराबर से चारो तरफ नजर रखे हुये थी. क्यो कि चाची को किसी भी अनजाने लोगों पर भरोसा नही था. वह एकदम सतर्क और चौकन्नी थी. दोनो ने गाड़ी में हि खाना खाया और आपस में बाते करती रही. देखते हि देखते दिन ढलने लगा और गाड़ी भी शहर में पहुच गयी. गाड़ी शहर में पहुंच कर स्टेशन पर जाकर रुकी, सब लोग उतरने लगे तो चाची ने किसी से पुछा,