असमर्थों का बल समर्थ रामदास - भाग 9

  • 2.3k
  • 768

सशक्त सैनिकीकरण का प्रारंभलंबी और निरंतर पैदल यात्रा के पश्चात भी समर्थ रामदास के साहस और उत्साह में कोई कमी नहीं थी। शरीर पर थकान का नामोनिशान तक नहीं था। जितना वे आगे बढ़ते, प्रभु राम की कृपा से उनका मनोबल उतना ही अधिक गहरा होता जाता।उत्तर भारत के बाद वे पूर्व दिशा की ओर चल पड़े। जगन्नाथपुरी में जब उन्होंने भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का मनोरम दृश्य देखा तो उन्हें विचार आया कि वे भी अपने प्रभु श्रीराम को पालकी में बिठाकर उनकी शोभायात्रा निकालेंगे।जगन्नाथपुरी में उनकी भेंट एक ब्राह्मण से हुई, जो रामदासजी से काफी प्रभावित हुआ और