सत्यवादी राजा हरिश्चन्द्र

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सूर्यवंशमें त्रिशंकु नाम के एक प्रसिद्ध चक्रवर्ती सम्राट् हो गये हैं, जिन्हें मुनि विश्वामित्र ने अपने योगबल से सशरीर स्वर्ग भेजने का प्रयत्न किया था। महाराज हरिश्चन्द्र उन्हीं त्रिशंकु के पुत्र थे। ये बड़े ही धर्मात्मा, सत्यपरायण तथा प्रसिद्ध दानी थे। इनके राज्यमें प्रजा बड़ी सुखी थी और दुर्भिक्ष, महामारी आदि उपद्रव कभी नहीं होते थे। महाराज हरिश्चन्द्र के यश से त्रिभुवन भर गया। देवर्षि नारद के मुख से इनकी प्रशंसा सुनकर देवराज इन्द्र ईष्र्या से जल उठे और उनकी परीक्षा के लिये मुनि विश्वामित्रसे प्रार्थना की । इन्द्रकी प्रार्थनापर प्रसन्न होकर मुनि परीक्षा लेने को तैयार हो गये।महामुनि विश्वामित्र