असमर्थों का बल समर्थ रामदास - भाग 7

  • 3.7k
  • 1.5k

सामाजिक बदहाली बनी देशाटन के लिए निमित्तटाकली गाँव में निवास के दौरान समर्थ रामदास की कीर्ति दूर-दूर तक पहुँचने लगी थी। कई लोग उनके भक्त बन गए थे। उनसे मिलकर अपनी समस्या का हल जानने दूर दराज़ के गाँव से लोग आने लगे थे, जिनमें से अधिकतर लोग आर्थिक दुर्दशा में होते थे।देश की प्रजा के लिए उस वक्त बड़ा ही कठिन समय था। कहीं बाढ़ तो कहीं अकाल, ऐसी कुदरती आपत्तियाँ बार-बार आती थीं। लोगों को न पूरा अनाज मिलता और न पीने के लिए ढंग का पानी। किसानों के पालतू जानवरों की चारे के अभाव में मृत्यु होना