दिवाकर वैज्ञानिक कोलकाता शहर में रहता था, उसका बचपन एक अनाथ आश्रम में बीता था, दिवाकर पढ़ाई लिखाई में बहुत होशियार था इस वजह से पढ़ाई पूरी करने के बाद वह एक वैज्ञानिक बन गया था। दिवाकर के जीवन में धन दौलत शोहरत किसी चीज की कमी नहीं थी, लेकिन उसके जीवन में बहुत ज्यादा अकेलापन था।दिवाकर कुछ दिनों के लिए किसी काम से सर्दियों के मौसम में अपनी गाड़ी से ऊटी जाता है।और ऊटी के होटल में ठहरने बाद एक दिन दिवाकर सुबह-सुबह सदियों के मौसम में जोगिंग करने जाता है।उस दिन कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। दिवाकर