ताश का आशियाना - भाग 34

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तुषार से नंबर मिलते ही रागिनी ने सिद्धार्थ को सुबह फोन लगाया। पहली बार फोन लगा नहीं लेकिन दूसरी बारलेकिन दूसरी बार में ही फोन उठा लिया, सिद्धार्थ ने व्यक्ति का परिचय पूछा।"मैं रागिनी बोल रही हूं।" सिद्धार्थ का मन एकाएक अस्थिर हो गया धड़कनें बढ़ गई। वह चाहे कितना भी दूर भागे लेकिन उसका मन रागिनी पर ही अटका था यह बात रागिनी की एक आवाज से ही साबित हो गई।रागिनी ने सिद्धार्थ का ध्यान खींचते हुए, "कैसे हो तुम?" "मैं ठीक हूं।" सिद्धार्थ के आवाज में पहली बारी में जो कमजोरी दिखाई दे रही थी वह अब थोड़ी