44.यह तो होना ही है इस विश्वरूप के एक भाग में जब अर्जुन ने बड़े गौर से देखा तो वहां उन्हें दुर्योधन समेत धृतराष्ट्र के पुत्र, युद्ध लड़ने के उपस्थित अनेक राजा, स्वयं पितामह भीष्म, गुरु द्रोणाचार्य और कर्ण और अनेक कौरव योद्धा इस विश्वरूप के विकराल भयानक मुखों में बड़े वेग से दौड़ते हुए प्रवेश करते दिखाई दिए। अर्जुन चिल्ला उठे:अरे! ये सब तो स्वयं काल के मुख में जा रहे हैं। यह श्री कृष्ण के विश्वरूप में इस तरह प्रवेश कर रहे हैं जैसे समुद्र में उफनती वेगवान नदियां भी शांत होकर प्रवेश कर जाती हैं। अर्जुन रोमांचित