सुख की खोज - भाग - 6

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स्वर्णा के पिता चुपचाप खड़े उसकी सब बातें सुन रहे थे। उन्हें तो यह भी नहीं मालूम था कि ऐसा भी होता है। फिर उन्होंने स्वर्णा से केवल इतना ही कहा, "स्वर्णा बेटे अब तुम ग़लत रास्ते पर जा रही हो। तुम हीरोइन बनना चाहती थीं, तब तुम्हारे बढ़ते कदमों की रफ़्तार को हमने नहीं रोका। तुम्हारी ख़्वाहिशों को पूरा करने का हर अवसर तुम्हें दिया। लेकिन यह ठीक नहीं है बेटा, कर ली तुमने अपनी हीरोइन बनने की इच्छा पूरी। अब अपना पारिवारिक जीवन जियो। उसका भी पूरा आनंद उठाओ। हर अनुभव को स्वयं महसूस करो। हमारा फर्ज़ है