प्रोफेसर! कैसे हैं आप? वैसे ये सवाल केवल एक औपचारिकता लगती है, लेकिन ख़त बिना इस सवाल कुछ अधूरा सा जान पड़ता है ना! खैर, जब ठण्ड के मौसम में इतनी तकलीफ रहती है तो ध्यान रखना चाहिए ना! आवाज़ तक बैठ गयी आपकी। ठण्ड का मौसम थोड़ा शैतान बनाने के लिए भी आता है मेरे समझ से। कहाँ गर्मी में हम सुबह शाम नहा कर तरों ताज़ा हुआ करते हैं। ध्यान देकर खाना खाते हैं। सब कुछ नपा तुला सा रहता है। वहीँ ठण्ड में बिना नहाये भी काम चलता है ना (मेरा चल जाता है, मैं रोज़ नहीं