मेरे दिमाग़ में सवालों की उथल-पुथल मची हुई थी, एक पल के लिए बिल्कुल शांति छा गई तभी मेने क्लास रूम में आंशिका के अंदर आने की आहट सुनी,वो धीरे धीरे चलते हुए अंदर आई और मेरे से थोड़ी दूरी पर खड़ी हो गई, मेने अपनी नजरें उस पर से हटाई और अपने सामान को उठाने लगा।हर पल यहीं लग रहा था कि आंशिका मेरे बारे मैं क्या सोच रही होगी, इसी सोच में डूबा हुआ अपना और ट्रिश का सामान उठा रहा था कि मेरे हाथ से उसका चार्ट छूट गया और वो ज़मीन पे फिसालता हुआ मुझसे थोड़ी