दर्द दिलों के - 1

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आरवी अंधेरे कमरे में बैठी न जाने कहां खोई हुई है। उसकी आंखों से पानी की जगह मानो उसके सपने टूट कर बह रहे हो। तभी आवाज आती है.. आरवी दरवाजा खोलो। आरवी क्या हुआ यार .. आरवी तुम सुन रही हो .. अरे मैं हूं अरनव ।आरवी अपने आसू पौंचती है और दरवाजा खोलती है.. अरनव: आरवी तुम ठीक हो ? आरवी : हां ।अरनव : कुछ हुआ है क्या?आरवी : जो होना था वो तो हो गया अब कुछ फायदा है...अरनव : यार तुम पहेलियां मत बुझाओ .. बोलो क्या हुआ है .. आरवी : कुछ नही ।