दो वादे...

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दो वादे.....ट्रेन अपनी गति से उसके गाँव की ओर बढ़ी चली जा रही थी। रंजना पूरे तेरह साल बाद गाँव जा रही थी। उसके पिताजी अपने अंतिम साँसें ले रहे थे। उसने अपनी आँखें बंद करके सर को बर्थ के पीछे की दीवार से टिका दिया था। तेरह साल पुरानी यादें उसकी आँखों के आगे घूम रही थीं ।********"ए सरजू….सुन तुझसे एक बहुत जरूरी बात करनी है।" उसने सरजू से कहा।"बोलो छोटी मालकिन ….हमसे का काम है?" "सरजू, हम दोनों बचपन के दोस्त हैं, जानता है न तू….सुन मुझे तुझसे प्यार है...मैं तुझसे बहुत प्रेम करती हूँ। मेरे बाबा मेरी