सूझ बूझ

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सूझ बूझ----- देवरिया जनपद के आस पास भटनी भाटपार आदि क्षेत्रो से बड़ी संख्या में पढ़ने वाले छात्र देवरिया आते है ।अब तो शायद ही कोई छात्र बिना टिकट या मासिक सीजनल टिकट के चलता हो लेकिन सत्तर अस्सी के दौर में बिना टिकट रेल यात्रा करने का एक फैशन ही था लोग एक दूसरे को बताते थे बड़े गर्व से की कैसे बिना टिकट वह बम्बई और कलकत्ता तक लौट आया है। सुबह लोकल पैसेंजर ट्रेन से देवरिया स्कूल कालेजों में पढ़ने वाले बच्चे आते थे और शाम तीन चार बजे पसेंजर से ही लौट जाते जिसमे अधिकतर बच्चे