लिव-इन - रिलेशनशिप

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फ्रेंडशिप कॉन्ट्रेक्ट व विवाह में क्या अन्तर है नीलम कुलश्रेष्ठ 13 अप्रैल 2015 को जस्टिस एम. वाय. इक़बाल और जस्टिस अमिताभ रॉय की बेंच ने 'लिव इन रिलेशनशिप' में रहने वाले परिवार में हो रहे विवादों को देखकर ये फैसला सुनाया कि अगर कोई भी अविवाहित जोड़ा लम्बे समय तक एक साथ यानि लिव इन में रहता है तो सुप्रीम कोर्ट उसे शादीशुदा जोड़े की मान्यता दे देगा। यही नहीं, अपने साथी की मौत के बाद महिला उसकी संपत्ति की भी कानूनी हकदार होगी। बेंच के मुताबिक, ‘स्त्री-पुरुष के लंबे समय तक साथ रहते हैं तो महिला को उसकी रखैल