अन्धायुग और नारी--भाग(२०)

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मैं ने चाची के कमरें में जाकर उन्हें सारी बात बता दी,तब ये बात सुनकर चाची भी परेशान हों उठीं और इसके बाद वें गहरी चिन्ता में डूब गईं,कुछ देर वें कुछ सोचतीं रहीं फिर मुझसे बोलीं... "मैं इस बारें में तेरे चाचा से बात करूँगी", "लेकिन चाची! जब वें दादाजी की बात नहीं सुन रहे हैं तो फिर तुम्हारी बात कैसे सुनेगें",मैंने चाची से कहा... "तेरी बात भी ठीक है,सुनते तो वें किसी की भी नहीं हैं ,लेकिन वें मेरी बात सुनकर अगर मान जाते हैं तो फिर उदयवीर की जान को खतरा कम हो जाएगा",चाची बोली... "ठीक है