अन्धायुग और नारी--भाग(१९)

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देवदासियों के स्वतन्त्र होने के लिए केस तो चल रहा था,लेकिन अब भी उन्हें मंदिर में नृत्य करना पड़ रहा था, उस रात फिर से तुलसीलता भी सभी दासियों के साथ मंदिर के प्राँगण में नृत्य करने पहुँची और उस रात चाचाजी फिर से तुलसीलता का नृत्य देखने पहुँचे,नृत्य के बाद तुलसीलता अपनी कोठरी में पहुँची तो उसके पीछे पीछे चाचाजी भी उसकी कोठरी में पहुँचे,लेकिन उस रात तुलसीलता ने चाचाजी को अपनी कोठरी के भीतर आने से मना कर दिया,इस बात से खफ़ा होकर चाचाजी ने तुलसीलता की कोठरी के बाहर खड़े होकर उससे कहा..... "कल तक तो मेरे