अन्धायुग और नारी--भाग(१७)

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कोठरी के किवाड़ खुलते ही किशोरी तुलसीलता से बोली... "उदय है क्या तेरी कोठरी में"? "हाँ! है",तुलसीलता बोली... "तो फिर फौरन उसे बाहर जाने को कह,पुजारी के लठैत इधर ही आ रहे हैं उसे मारने के लिए",किशोरी बोली.... "आने दो जो आता है,मैं क्या डरता हूँ किसी से",उदयवीर कोठरी के बाहर आकर बोला.... "नहीं! उदय! तुम जाओ यहाँ से,अगर तुम्हें कुछ हो गया तो हम सभी का यहाँ से बाहर निकलने का रास्ता बंद हो जाएगा,हमारे बारें में भी तो जरा सोचो,तुम पहले इन्सान हो जिसने इस काम को पूरा करने का बीड़ा उठाया है, क्यों अपनी जान जोखिम में