अन्धायुग और नारी--भाग(१४)

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मैं और चाची रसोई में पहुँचे तो चाची ने चूल्हे के पास जाकर बटलोई का ढ़क्कन उठाकर चम्मच में आलू निकालकर उसे दबाकर देखा और मुझसे बोली... "चल खाने बैठ,आलू की तरकारी पक चुकी है,मैं गरमागरम रोटियाँ सेंकती हूँ" और ऐसा कहकर उन्होंने चूल्हे से बटलोई उतारकर एक ओर रख दी और चूल्हे पर तवा चढ़ाकर धीरे धीरे रोटी बेलने लगी और रोटी बेलते बेलते मुझसे पूछा.... "तुलसीलता ने तुझे सच में अपना भाई बना लिया या तू अम्मा से झूठ बोल रहा था", "चाची! ये बिलकुल सच है,भला मैं उनसे झूठ क्यों बोलने लगा",मैने चाची से कहा.... "तो तुझे