अन्धायुग और नारी--भाग(८)

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और जिसका डर था वही हुआ,दादाजी को बैठक में मेरी स्याही वाली कलम मिल गई,जो मुझे दादाजी ने ही मेरे जन्मदिन पर उपहार स्वरूप थी,वो कलम चाँदी की थी,उन्होंने विशेष रुप से शहर के सुनार को आर्डर देकर बनवाई थी,अब उन्हें पक्का यकीन हो गया था कि मैने ही रात को तुलसीलता को बैठक से भगाने में उसकी मदद की थी,उनका शक़ इसलिए और पक्का हो गया क्योंकि मेरा कमरा उनकी बैठक के बगल में ही था,इसलिए उनकी सभी बातें भी मैने सुनी होगी,तब मैंने ही तुलसीलता को वहाँ से छुड़वाया होगा.... और दादाजी सीधे मेरे कमरें में चले आए,मैं