कलवाची--प्रेतनी रहस्य - (६२)

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कौत्रेय और त्रिलोचना वैद्यराज धरणीधर से भेंट करके वापस सभी के समीप पहुँचे,तब तक भूतेश्वर भी उन सभी के पास आ चुका था और त्रिलोचना ने दुखी मन से धंसिका के जीवन की व्यथा सबके समक्ष सुनाई जिसे सुनकर सभी का मन द्रवित हो उठा ,तब भूतेश्वर बोला.... "अब इसके आगें का वृतान्त मुझसे सुनो", "ये क्या कह रहे हो तुम भूतेश्वर? तुम्हें कैसें ज्ञात है धंसिका के जीवन की कहानी",रानी कुमुदिनी ने पूछा...... "क्योंकि! राजसी वस्त्रों में लिपटी हुई वो कन्या शिशु और कोई नहीं त्रिलोचना है",भूतेश्वर बोला.... "क्या कहा तुमने वो कन्या शिशु त्रिलोचना है,किन्तु ये कैसें हो