काव्यजीत - 4

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1.वो बातें कुछ खास थीउन रातों में कुछ तो बात थीअजनबी से हम दोस्त बनेकुछ अलग वो बरसात थीदिल की बात कह ना सके तुमसेदुर तुम भी तो राह ना सके हमसेएक अरमान है अधूरा सापर तुमसे इश्क है पूरा साइन फिज़ाओं में महकता अहसास हैहाय वो लड़का कुछ खास हैतुम्हारा अंदाज़ है अलगइश्क का मिजाज भी जुदातेरे इश्क की दीवानगी में हम हुए मलंगइश्क की इबादत तुम्हे माना अपना खुदा2.रिश्ता उससे जोड़ा दिल कासाथ ,वक्त, प्यार क्या नहीं उसे हमने यार दियाथोड़ा नहीं सब उसे हमने बेशुमार दियावक्त रहते हमें वो नहीं समझारिश्ता हम भी ना चाहे जो हो