अगली दिन सुबह 6 बजे मेरी नींद खुल गई अपने कमरे से निकल कर नीचे होल मैं आकर देखा तो कोई नही था, मैं अपने कमरे की और बढ़ रह था की तभी "आज जल्दी उठ गया बेटा मां की आवाज सुन के पीछे मुड़ के उनको देखा तो जैसे मेरी सुबह ही रोशन हो गई।मैने उनकी और देखकर कहा "हां मां, बस नींद नहीं आ रही थी तो सोचा बाहर के सुहावने मौसम का मज़ा उठा लूं , बहुत सुकून मिलता है जब सुबह की ये ठंडी हवाएं जब शरीर को छूती है "मैंने इतना कहा और बालकनी की