क्रॉस *** (और फिर इस प्रकार जोसेफ का जहां अमरीका में सदा ठहरने के लिये प्रबन्ध पक्का हो गया वहीं दूसरी तरफ स्वप्नेष के गालों पर प्यार और इश्क में मिले हुये मज़े का वह करारा तमाचा उसके दोनों गालों पर पड़ा था कि जिसने उसके जिस्म के साथ-साथ उसकी आत्मा के हरेक तारों तक को हिला रख दिया था। इस प्रकार कि वह अब अपना मुंह कहीं भी दिखाने लायक नहीं रहा था।)*** ‘मैरी, जिस क्रॉस को पहनने के लिये मैंने अपने घर और समाज को ठुकराया। जिसकी खा़तिर अपने भाइयों की कोई भी परवा नहीं की। जिसके लिये