अगले दिन दोपहर - दोपहर का समय था पंडित जी का घर .."पंडित जी अपने छोटे से गुरुकुल में बच्चों को वीणा को स्वर के साथ बजाने का ज्ञान दे रहा था ...तभी दरवाजे पर गाड़ी आकर रुकी जिसकी आवाज पंडित जी के कान पर पड़ी और कुछ ही मिनट में श्याम बिहारी आकर कहा,"पंडित जी रणविजय रावत आया है...!!पंडित जी ने अपनी वीणा को बजाना रोककर कहा,"जाओ उसे आदर से बैठाओ ..!!श्याम बिहारी सिर हिला कर हां कहा और चला गया वहां से..!!पंडित जी ने बच्चों से कहा ,"बच्चों आप लोग कंटिन्यू कीजिए और जब छुट्टी का समय होगा