एक कहानी से मैं अपनी बात शुरू करना चाहूंगा। एक बहुत अद्भुत व्यक्ति हुआ है, उस व्यक्ति का नाम था आर्या, एक ब्राहम्ण फकीर था। एक दिन सांझ अपने घर से बाहर निकला था किन्हीं मित्रों से मिलने के लिए, द्वार पर ही बचपन का बिछडा हुआ एक साथी अपनी गाडी से उतरा कई वर्षों बाद वह मित्र उसे मिला था। गले वे दोनों मिल गए। लेकिन आर्या ने कहा कि तुम ठहरों घडी भर, मैं किसी को वचन दिया हूं, उनसे मिल कर अभी लौट आता हूं, दुर्भाग्य कि वर्षों बाद मिले हो तुम और मुझे अभी घर से