धर्मराज युधिष्ठिर

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युधिष्ठिर पांडु का ज्येष्ठ पुत्र था| धर्मराज द्वारा कुंती के आह्वान पर बुलाए जाने पर उनके अंश से ही यह पैदा हुआ था, इसलिए धर्म और न्याय इसके चरित्र में कूट-कूटकर भरा था| इसी के कारण इसको धर्मराज युधिष्ठिर पुकारा जाता था| वह कभी असत्य नहीं बोलता था, तभी शत्रु पक्ष के लोग भी उनकी बात पर पूरा विश्वास करते थे| स्वार्थ के कारण किसी प्रकार अनुचित कार्य करना इनको नहीं सुहाता था|वह धीरबुद्धि था| कभी उतावला होकर कोई कार्य नहीं करता था| भीम, अर्जुन तथा अन्य भाइयों को कभी-कभी गुस्सा आता था तो वे मर्यादा की सीमाओं को भी