व्योम से वसुन्धरा तक

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ताऊ राम सिंह का कच्चा घर जो कभी किसी महल से कम नहीं हुआ करता था। कितनी ही गौरैया,गुरसल आदि वहां प्रतिदिन क्रीडा किया करती थी। कितने ही यात्रियों ने उस घर की शरण ली थी। कभी कोई गर्मियों की चिल–चिलाती धूप से ठंडक पाकर तृप्त हुआ तो कभी किसी ने शरद हवाओं से उस घर की आड़ में राहत पाई। परंतु अब वह घर ढह चुका था और ताऊ राम सिंह हरने अपना नया घर गांव के बाहर अपने एक खेत में बना लिया था। आजकल वह पुराना डाहया हुआ घर मोहल्ले के बच्चों के खेलने का मैदान बन