रेवा के लेफ्ट और साइड मैं कमरे थे। रेवा फिर से पार्टी हॉल में जा ही रही थी तभी एक कमरे का दरवाजा खुला और उस कमरे से किसीने रेवा को जबरदस्ती अंदर खींच लिया। तो वही अर्जुन रेवा को पागलों की तरह तलाश रहा था। इस वक्त उसके दिमाग मैं ना जाने कितने सारी बाते चल रही थी। "काश मेरा डर सही ना हो ! मुझे रेवा को प्रोटेक्ट करना था ! मैं इतना इरेस्पॉन्सिबल कैसे हो सकता हूं ....",अर्जुन ने अपना हाथ जोर से दीवार पर मारते हुए कहा। "कुछ पता चला ? ",तुषार ने पीछे से आते