जीवन @ शटडाऊन - 10

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सति-इतिकथा- नीलम कुलश्रेष्ठ आज सती मन ही मन निश्चय कर चुकी हैं कि वह विराटसेन का प्रणय स्वीकार कर लेंगी। वे हाथ से ढकेलने वाली चार पहियों की गाड़ी पर अपने कोढ़ी पति को तीर्थ यात्रा करवाने निकली थीं । अब उन्हें याद नहीं, कौन से तीर्थ से विराटसेन उनके पीछे लग गया था । वे गाड़ी धकेलती चलतीं तो वह दूर से उनका पीछा करता सा चलता था । उनके पति के घाव रिसने लगता तो वह रूई व कपड़ा लेकर अचानक प्रगट हो जाता । कभी उनके पति के होंठ सूखने लगते तो इससे पहले वह कोई झरना