चिराग का ज़हर - 14

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(14) “आश्चर्य है." सामान तो कोई गायब नहीं हुआ फिर कौन आया? यह देश भी विचित्र है। यहां सिनेमा देखना भी जुर्म है। कल मैं दूतावास के माध्यम से रिपोर्ट भी लिखवाऊँगा और प्रोटेस्ट नोट भी भेजूंगा।" हमीद ने इन्जिन स्टार्ट करके मोटर सायकिल आगे बढ़ाई । कुछ ही दूर जाने के बाद पुलिस की एक जीप कार आती हुई नजर आई । उसीने बताया कि कासिम साहब की गाड़ी अगले चौराहे के पास खड़ी है । हमीद ने कासिम को उसकी कार के पास उतार दिया और खुद नीलम हाउस की ओर बढ़ता चला गया । ठीक साढ़े दस