चिराग का ज़हर - 6

  • 3.8k
  • 2k

(6) “सूर्य अस्त होते ही—और सूर्य उदय होने के आधा घन्टा बाद चले जाते हैं। विश्वास कीजिये श्रीमान जी ! हमारी आँखे एक मिनिट के लिये नहीं झपकती।" "क्या प्रतिदिन रात में इसी प्रकार हंगामा होता है? ' विनोद ने पूछा। "जी नहीं—जब कोई कोठी में घुसता हैं तब ही उत्पात मचता है। दस दिनो से हम यहीं देखते आ रहे हैं।" "दिन में भी किसी को ड्युटी रहती है? विनोद ने पूछा। "हमें नहीं मालूम श्रीमान जी मगर मेरा विचार है कि दिन में डयुटी लगाई ही नहीं जाती ।" नुरा के क्वार्टर का दरवाजा खुला हुआ था ।