एक थी नचनिया--भाग(१०)

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अब दुर्गेश अपने बाऊजी और माधुरी के व्यवहार से खींझ पड़ा और माधुरी से बोला.... बुआ!तुम इतने दाँत क्यों निकाल रही हो आखिर बात क्या है? तब माधुरी बोली..... तूने बहुत बड़ा काम किया है आज,हम कबसे शुभांकर का पता लगाने की कोशिश कर रहे थे,लेकिन आज तू शुभांकर को हमारे सामने ही ले आया.... लेकिन तुम लोंग शुभांकर को क्यों ढूढ़ रहे थें,दुर्गेश ने पूछा.... बहुत लम्बी कहानी है,फिर कभी सुनना,अभी यहाँ से चलते हैं,मोटर भी तो ठीक करवानी है ना!माधुरी बोली... हाँ!नहीं तो वो नकचढ़ी फिर से चिल्लाएगी,दुर्गेश बोला... इधर अरिन्दम चटोपाध्याय को भी कुछ समझ नहीं आ