एक थी नचनिया--भाग(२)

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उस आदमी के मरते ही उस जगह बिल्कुल सन्नाटा छा गया,तब डाकुओं की सरदार श्यामा बोली.... हमने कही थी ना कि कोई हल्ला ना मचाएं,अब सबने देख लओ ना कि का हाल भओ इ आदमी को,सो भलाई येई में हैं कि सब जने चुप्पई चाप अपनी अपनी अँगूठी,चेन और नगदी इते धरके चले जाओ... और फिर सबने श्यामा के कहने पर अपनी अपनी अँगूठियाँ और चेन उतारकर अपनी जान के डर से जमीन पर बिछे हुए कपड़े पर रख दीं,कुछ ही देर में वहाँ नगदी और गहनों का ढ़ेर लग गया,फिर उन डाकुओं में से एक आगें आया उसने उस