और जब दो चार दिन के बाद पानी वाला जहाज आगे चला तो और दूसरी सीमा पर चैकिंग के रोका तो वहाँ के लोगों ने वही सभी को पकड़ कर जेल भेज दिया और ऐसे ही कुछ दिनों जेल से चिट्ठी पत्र भेजते रहे लेकिन धीरे-धीरे पत्रों का सिलसिला बंद हो गया जिन लोगों पता चल गया था कि हमरे देश के लोगों बिदेश मे जा कर फंस गये वे कुछ समय तक अपने लोगों को छुडाने के लिए कोशिश करते रहे लेकिन जब कोई रास्ता नहीं बचा तो वे लोग भी चुप बैठ गये थे क्योंकि भारत के देहरादून