तारा ने हवाई जहाज कि सीट पर बैठ कर चैेन की सांस ली और सोचने लगी जब मन उंमग और उत्साह हो तो जीवन तनावरहित हो तो हर चीज़ कितनी अच्छी लगती है मानों चारों तरफ बहार ही बहार हो और बगल वाली सीट पर बैठा पति समीर जो अभी कुछ चौबीस घंटे पहले ही बना था तारा ने एक नजर समीर को देख फिर अपनी नजरों से पूरे जहाज के अंदर आ रहे लोगों को देखने लगी और एक एयरहोस्टेस अपना काम करते हुए लोगों को अपनी अपनी सीट पर बैठने के लिए कह रही थी और साथ ही