मां की परछाई, पिता का गुरूर बेटियां...

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अपनी मां की परछाई तथा उन्हीं का दूसरा रुप होती हैं बेटियां, अपने पिता की सबसे अधिक लाडली और उनका गुरूर होती है बेटियां | मां के संस्कारों को, उनकी बातों और आदर्शों को अपने मन में संजोकर रखती है बेटियां | पिता के द्वारा सिखाए गए आदर्श विचारों को सदैव स्मरण रखती है बेटियां | बेटियां ही तो हैं जो घर - आंगन को अपनी मीठी सी मुस्कान से खुशनुमा बना देती हैं | अपने नन्हें नन्हें कदमों से आकर जब वो दौड़कर अपने पिता की गोद में बैठ जाती है तो पिता अपनी सारी थकान भूल जाते हैं