हमसफर भी तुम ही हो

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अविनाश सुबह समय पर उठा नहीं तो संस्कृति को चिंता हुई. उस ने अविनाश को उठाते हुए उस के माथे पर हाथ रखा. माथा तप रहा था. संस्कृति घबरा उठी. अविनाश को तेज बुखार था. दो दिन से वह खांस भी रहा था. संस्कृति ने कल इसी वजह से उसे औफिस जाने से मना कर दिया था. मगर आज तेज बुखार भी था. उस ने जल्दी से अविनाश को दवा खिला कर माथे पर ठंडे पानी की पट्टी रखी.अविनाश को सुबह से बहुत तेज बुखार है, क्या करूं बेटा, यह समय ही बुरा चल रहा है. राजू भी कोरोना पौजिटिव