खिड़की दरवाजा बंद करके अंधेरे कमरे में अकेले सन्नाटे में बेड पर लेटने के बाद भी आशीष को चैन की नींद नहीं आ रही थी क्योंकि पड़ोस में रहने वाली उसकी प्रेमिका राधा की बाहर बहुत धूमधाम आतिशबाजी के साथ बारात चढ़ रही थी।आशीष राधा के चाचा जी के मकान में किराए पर रहता था और राधा के चाचा जी के दोस्त की फैक्ट्री में सुपरवाइजर के पद पर काम करता था, आशीष के माता-पिता छोटी बहन गांव में रहते थे, आशीष को गरीबी से तंग आकर अपना गांव छोड़कर शहर नौकरी करने आना पड़ा था।आशीष के दबाव डालने के