जहाँ चाह हो राह मिल ही जाती है - भाग - 9 - अंतिम भाग

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गुर्गे कुछ समझ पाते उससे पहले ही नीलू का हाथ पकड़ कर शक्ति सिंह ने उससे कहा, "चलो बेटा घर चलते हैं।" "नहीं पापा, मैं अब घर कभी नहीं आऊंगी।" "क्या बोल रही हो नीलू? क्या हुआ बेटा तुम को?" "पापा मैं यहाँ की लड़कियों से मिली हूँ, जब तक आप उन्हें आज़ाद नहीं करेंगे, मैं भी यहाँ पर ही रहूंगी। पापा आपने मुझे इतने अच्छे संस्कार दिए हैं, फिर आप इन लड़कियों के साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं।" "बेटा मैंने आज तक किसी लड़की को नहीं छुआ है।" "जानती हूँ पापा, मुझे अंदर सब कुछ मालूम हो गया