साथ जिंदगी भर का - भाग 62

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लेकिन फिर भी हम हर बार ऐसी गुस्ताखी करना चाहेंगे फिलहाल के लिए इतनी काफी है एकांश ने नशीली आवाज में कहा और आस्था को फ्लाइंग किस देकर कमरे में चला गया आस्था ने हंसकर शर्मात हुए अपना चेहरा ढक लिया एकांश उसे छोड़कर बाहर आया आस्था उसी के लिए लंच का वेट कर रही थी उसमें थोड़ी सी भी हिम्मत नहीं थी कि एकांश को देखने की और एकांश उसके इस अदा को इंजॉय करने में लगा हुआ था आस्था का शर्म से गुलाबी हुआ चेहरा उसे बेहद खुशी दे रहा था आस्था ने सर झुकाए ही उसे खाना