एकांश आस्था को अपनी बाहों में लेकर सोया हुआ था कितना सुकून था कितना चैन था कितनी राहत महसूस कर रहे थे दोनों एक साथ बीते कुछ सालों में हर रात एक दूसरे की याद में तड़प रहे थे रो रो कर गुजारी थी उन्होंने एक एक रात उन्होंने लेकिन आज की रात उन सभी रातों के दिए गए जख्म पर मरहम का काम कर रही थी हर दिन सुबह जल्दी उठने वाले वह दोनों एक साथ अभी तक सो रहे थे 8:00 बज गए थे फिर भी नहीं उठे थे उनके साथ आए सभी लोग ट्रेकिंग के लिए चले