कौत्रेय को उदास देखकर कालवाची को कुछ अच्छा नहीं लगा और वो कौत्रेय से बोली.... "तुम्हें उदास होने की आवश्यकता नहीं है कौत्रेय! बहुत ही शीघ्र मैं तुम सभी को भी वहाँ ले चलूँगी,क्योंकि मैं और अचलराज इस कार्य को अकेले नहीं कर सकते,मैं चाहती हूँ कि कुछ समय हम दोनों वहाँ रहकर सभी के भेद ज्ञात कर लें,इसके पश्चात ही तुम सभी को हम वहाँ ले जाएँ", "मुझे भी ले चलोगी ना!",त्रिलोचना ने पूछा... "हाँ...हाँ...तुम्हें भी ले चलूँगी और तुम्हारे भ्राता भूतेश्वर को भी",कालवाची बोली... "किन्तु! मैं वहाँ जाकर क्या करूँगा"?,भूतेश्वर ने पूछा... "तुम भी हम सभी की सहायता