कहानीपश्चाताप के आंसू************* माथे की झुर्रियां कलीम के उम्र ही नहीं उनके अनुभवों की कहानी बयां कर रही थीं। पूरे गांव में उसका ही एकमात्र मुस्लिम परिवार था। कलीम की सज्जनता और आत्मीयता ने उन्हें सारे गांव का चहेता बना दिया था। जब तक शरीर में ताकत थी, तब तक उसने हर किसी के सुख दुख में बिना किसी भेदभाव के सहयोग किया। आज भी वह अपने इस प्रयास के लिए प्रयत्नशील रहता था। पर कहते हैं न कि हर समय एक सा नहीं रहता। कलीम के बेटे नदीम की संग आवारा बदमाश लड़कों से हो गई। जिससे आये दिन